शिलांग पुस्तक मेला 2024: साहित्य, कला और संस्कृति के नौ दिवसीय उत्सव का सफलतापूर्वक समापन

संवाददाता - पवन कुमार गुप्ता 
नई दिल्ली 

शिलांग पुस्तक मेला 2024: साहित्य, कला और संस्कृति के नौ दिवसीय उत्सव का सफलतापूर्वक समापन
शिलांग, 13 अक्टूबर, 2024: राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत  (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन) द्वारा आयोजित शिलांग पुस्तक मेले का दूसरा संस्करण साहित्य, संस्कृति और शिक्षा के नौ दिवसीय उत्सव के बाद 13 अक्टूबर को संपन्न हुआ। स्टेट सेंट्रल लाइब्रेरी में आयोजित इस कार्यक्रम में मेघालय और पड़ोसी राज्यों से हजारों पुस्तक प्रेमी, विद्यार्थी और परिवार शामिल हुए।

मेघालय के माननीय राज्यपाल श्री सी.एच. विजयशंकर द्वारा उद्घाटन किए गए इस मेले में 100 से अधिक स्टॉल लगे, जिनमें विभिन्न भारतीय भाषाओं और विधाओं की पुस्तकों की विविधतापूर्ण रेंज प्रदर्शित की गईं। दुर्गा पूजा उत्सव होने के बावजूद इस कार्यक्रम में लोगों की अच्छी—खासी भीड़ देखी गई। पुस्तक मेले ने लेखकों, प्रकाशकों और साहित्य प्रेमियों को बातचीत करने और विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान किया। 

अंजुम हसन सहित अनेक प्रसिद्ध लेखकों ने पाठकों का काफी ध्यान आकर्षित किया। खासी लेखक किन्फाम सिंग नॉन्गकिनरिह की कृतियों की भी काफी मांग रही। इसके अतिरिक्त, जापानी लेखकों और एनीमे पुस्तकों में भी पाठकों की उल्लेखनीय रुचि थी, हारुकी मुराकामी जैसे प्रसिद्ध लेखकों की अनुवादित कृतियों के स्टॉल पाठकों को आकर्षित दिखे। जापानी साहित्य और पॉप संस्कृति के लिए बढ़ता उत्साह शिलांग पुस्तक मेले में पाठकों को रोमांचित करता रहा। मेले ने न केवल पुस्तकों और पठन संस्कृति का जश्न मनाया, बल्कि स्थानीय कलाकारों को प्रदर्शन के लिए एक मंच भी प्रदान किया। जहाँ सुबह का समय पुस्तक प्रेमियों और स्कूली बच्चों के लिए रोचक गतिविधियों का रहा, वहीं शाम को क्षेत्रीय संगीत और नृत्य एवं बैंड प्रदर्शन से माहौल रंगारंग हुआ। 

 प्रसिद्ध कलाकारों ने दर्शकों को अपनी धुनों पर झूमने पर मजबूर किया, उनमें अमाबेलसुसंगी, बेनेडिक्ट हिनीवता, रियली लिंगस्कोर और कलर्स आदि शामिल थे। सिल्बीपासाह और गीतांजलि के छात्रों द्वारा नृत्य प्रदर्शन ने पाठकों को आकर्षित किया। यह पुस्तक मेला रचनात्मक बाल गतिविधियों से दिन की शुरुआत के साथ शाम होते—होते क्षेत्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से पाठकों में भरपूर उत्साह भरता दिखा। कई स्कूलों को राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा कार्यान्वित की जा रही शिक्षा मंत्रालय की पहल राष्ट्रीय-पुस्तकालय पर विभिन्न प्रतियोगिताओं, रोमांचक कार्यशालाओं और सूचनात्मक अभिविन्यास सत्रों में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया। राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के स्टॉल ने छात्रों और पाठकों को 1,000 से अधिक पुस्तकों तक पहुँच के लिए क्यूआर कोड स्कैन करने के लिए आमंत्रित किया।

 वर्चुअल लाइब्रेरी में 23 भाषाओं में पुस्तकें उपलब्ध हैं। पुस्तक मेले के चौथे दिन वसुधा आहूजा और कुणाल शांडिल्य द्वारा संगीतमय कहानी सुनाने का सत्र काफी ऊर्जावान रहा, जिसने 500 से अधिक बच्चों को कुछ नया सीखने के लिए प्रेरित किया। पुस्तक मेले के इस दूसरे संस्करण में कुछ नई विशेषताएं भी थीं, जिन्होंने कई युवा पाठकों और उनके अभिभावकों की रुचि को बढ़ाया। विद्यसी करियर काउंसलिंग कॉर्नर और यूपीएससी अभ्यर्थियों के लिए लगाए गए स्टॉल काफी लोकप्रिय रहे।  पाठकों के लिए, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र और संगीत नाटक अकादमी द्वारा लगाए गए स्टॉल ने उत्तर पूर्व सहित ज्ञानवर्धक पुस्तकें पेश कीं। कई पाठकों ने एक से अधिक बार शिलांग पुस्तक मेले का दौरा किया। कक्षा छठी के छात्र वर्सोयिन रैंगम के अनुसार, "मुझे साहसिक किताबें पसंद हैं और मैं देखना चाहता था कि क्या मुझे कुछ और मिलता है। इसलिए, मैं अपने परिवार और दोस्तों के साथ आया था। मुझे मेला पसंद आया। मैं अगले साल फिर आना चाहता हूँ," रैंगम ने किताबों के ढेर को देखते हुए कहा। 

13 अक्टूबर को समापन दिवस पर मेले में युवा पाठकों की बड़ी तादाद देखी गई। सभी आयु वर्ग के स्कूली छात्र मेले में विभिन्न स्टालों पर किताबें देखते नजर आए। डेवियन डेनिस मेले में खरीदी गई कठपुतली पुस्तक को लेकर उत्साहित दिखे। हालाँकि उन्हें कठपुतलियाँ बहुत पसंद हैं, लेकिन उनके पास कभी कोई किताब नहीं थी। कक्षा एक के छात्र ने कहा, "मैं यह किताब पढ़ सकता हूँ और बैरी (पुस्तक से जुड़ी कठपुतली) से बात भी करवा सकता हूँ।" यह पुस्तक मेले में उसका पहला दिन था। पुस्तक मेला नूरुल आलम और उनके पोते शहजाद खान के लिए एक सुखद आश्चर्य था, जो गुवाहाटी से आए थे। सेवानिवृत्त कार्यकारी इंजीनियर आलम ने कहा, "मेरा पोता एक उत्साही पाठक है और हमें पुस्तक मेले में जाना बहुत पसंद है। मैं सिविल इंजीनियरिंग की पुस्तकों की तलाश करूंगा।" खान असमिया और अंग्रेजी दोनों किताबें पढ़ते हैं और उन्हें साहसिक कहानियाँ पसंद हैं। वह अपनी पसंदीदा किताबें खोजने के लिए पूरी तरह तैयार थे। 

पुस्तक मेले का समापन खासी नृत्य प्रदर्शन और द जॉलीज बैंड संगीत के साथ हुआ। अंतिम दिन, शिलांग के पुस्तक प्रेमियों ने अगले साल मेले के वापस आने की उम्मीद जताई। शिलांग पुस्तक मेला 2024 ने स्पष्ट रूप से इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साहित्यिक आयोजन के रूप में खुद को स्थापित किया है, जो पाठकों के बीच पढ़ने, सीखने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए एक माहौल को बढ़ावा देता है।

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