फ़िलीस्तीनी जनता के नरसंहार में शामिल
'महिन्द्रा ऑटोमोटिव आउटलेट्स' पर देशभर में विरोध प्रदर्शन।
"फ़िलीस्तीन के साथ एकजुट भारतीय जन" द्वारा देश के विभिन्न हिस्सों में 'महिन्द्रा आउटलेट्स' के बाहर विरोध प्रदर्शन आयोजित किये गये। यह प्रदर्शन 'फिलीस्तीन के साथ एकजुट भारतीय जन' (IPSP) के बैनर तले हुए, जो विभिन्न जनसंगठनों के साथ मिलकर एक देशव्यापी बहिष्कार, विनिवेश और प्रतिबन्ध (BDS) अभियान चला रहा है। प्रदर्शन का उद्देश्य 'ज़ायनवादी इज़रायल' के साथ महिन्द्रा के सम्बन्धों को उजागर करना और फ़िलीस्तीन में जारी नरसंहार के विरुद्ध आवाज़ उठाना था। इन प्रदर्शनों में परफॉर्मेंस आर्ट, नुक्कड़ नाटक, गीत और अन्य कलात्मक माध्यमों से विरोध प्रदर्शित किया गया।
बहिष्कार के इस आह्वान में, फ़िलीस्तीन के साथ एकजुट भारतीय जन के साथ-साथ कई संगठनों ने भाग लिया। इसमें दिशा छात्र संगठन, नौजवान भारत सभा, भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी, स्त्री मुक्ति लीग और दिल्ली स्टेट आँगनवाड़ी वर्कर्स एण्ड हेल्पर्स यूनियन के सदस्य भी शामिल थे। दिल्ली, मुम्बई, हैदराबाद, पुणे, रोहतक, चण्डीगढ़, विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा और अन्य शहरों में प्रदर्शन आयोजित किये गये। IPSP ने इसके पहले भी मैकडोनाल्ड्स, स्टारबक्स, रिलायंस रिटेल, टाटा ज़ूडियो, डोमिनोज़ और अन्य कम्पनियों के आउटलेट के बाहर इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किये हैं।
फ़िलिस्तीन में जारी बर्बरता में महिन्द्रा कम्पनी भी शामिल है। फ़िलीस्तीन के साथ एकजुट भारतीय जन की ओर से विशाल ने बताया कि कैसे महिन्द्रा ग्रुप के चेयरमैन आनन्द महिन्द्रा ने 2018 में मुम्बई में बड़े पूँजीपतियों के प्रतिनिधिमण्डल के साथ बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाक़ात की और इज़रायल की अर्थव्यवस्था के साथ सम्बन्ध मजबूत करने पर सहमति जताई। विशाल ने बताया कि जून 2017 में महिन्द्रा एयरोस्ट्रक्चर्स ने इज़रायली हथियार निर्माता कम्पनी 'एल्बिट सिस्टम्स' की सहायक कम्पनी 'साइक्लोन' के साथ मिलकर 'एयरोस्ट्रक्चर पार्ट्स' का उत्पादन शुरू किया। इसके अलावा महिन्द्रा के इज़रायली टेक कम्पनियों और एरोनाॅटिक्स लिमिटेड के साथ भी गहरे सम्बन्ध हैं, जिनके साथ मिलकर इसने UAV (ड्रोन) का निर्माण किया है।
यहां तक कि इस बर्बर नरसंहार के 11 महीने बीत जाने के बाद भी महिन्द्रा ने अगस्त 2024 में इज़रायली कम्पनी सेन्ट्रिक्स लिमिटेड के साथ एक नया समझौता किया। विशाल ने कहा कि इस तरह का आर्थिक और कूटनीतिक समर्थन इज़राइल के उपनिवेशवादी चरित्र और फ़िलीस्तीनी जनता के नरसंहार को सामान्य बनाने में मदद करता है। महिन्द्रा को ज़ायनवादी इज़रायल के साथ इस नरसंहार में मिलीभगत के लिए ज़िम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और उसका बहिष्कार किया जाना चाहिए।
बीडीएस इण्डिया अभियान से जुड़ी स्वप्नजा ने बताया कि पिछले दो वर्षों में इज़रायल ने 60,000 से अधिक फिलीस्तीनियों की हत्या की है, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं। उन्होंने बताया कि लगभग 4 लाख लोग लापता हैं और लाखों घायल हैं। इज़रायल ने गाज़ा पर पूरी तरह से नाकाबन्दी कर रखी है, जिससे खाद्य सामग्री उन तक नहीं पहुँच पा रही है। इजरायल भूख को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। बच्चों समेत आम लोगों की भुखमरी से मौत की रिपोर्टें आ चुकी हैं। सिर्फ़ पिछले दो महीने में बर्बर इज़रायली सैनिको ने बचे-खुचे राहत केन्द्रों पर खाद्य सामग्री का इन्तज़ार कर रहे 1000 से ज़्यादा फ़िलीस्तीनियों को मार डाला है। अगर नाकाबन्दी तत्काल नहीं हटायी गयी, तो हज़ारों लोग और भुखमरी का शिकार होंगे।
नौजवान भारत सभा से जुड़े सुजन ने वैश्विक बीडीएस आन्दोलन के बारे में बात करते हुए बताया कि यह आन्दोलन इज़रायल के आर्थिक, राजनीतिक, कूटनीतिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक बहिष्कार की माँग करता है। उन्होंने इस आन्दोलन की ऐतिहासिक भूमिका की तुलना दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदी शासन के खात्मे में निभाई गयी भूमिका से की। सुजन ने यह भी बताया कि इज़राइल से जुड़ी कई कम्पनियों को इस अभियान के बाद दुनियाभर में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की आम जनता को फ़िलीस्तीन के साथ खड़ा होना चाहिए, क्योंकि आज फ़िलीस्तीन के साथ खड़ा होना ही इंसानियत के साथ खड़ा होना है। हमें अपनी सरकार, पूँजीपतियों और उन सभी संस्थाओं से जवाबदेही लेनी चाहिए जो इस नरसंहार में भागीदार हैं।
कार्यकर्ताओं ने आम जनता से महिन्द्रा का बहिष्कार करने और बीडीएस मुहिम में सक्रिय रूप से भाग लेने की अपील की। लोगों ने पर्चे लिए और बातचीत में हिस्सा लिया।
फ़िलीस्तीन के साथ एकजुट भारतीय जन और उसके साथ अन्य जन संगठन इस तरह के प्रदर्शन और ज़मीनी स्तर के अभियानों को तब तक जारी रखेंगे, जब तक फ़िलीस्तीन को आज़ादी नहीं मिल जाती।
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